57 Part
53 times read
0 Liked
कस्तूरी कुँडल बसै, मृग ढ़ुढ़े बब माहिँ. ऎसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ.. प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय. राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय ...